ट्रैवल: भारत की विरासत का प्रतीक कोणार्क सूर्य मंदिर

पूर्वी भारत की वास्तुकला का एक चमत्कार और भारत की विरासत का प्रतीक, कोणार्क सूर्य मंदिर, जिसे आमतौर पर कोणार्क के नाम से जाना जाता है, भारत के पूर्वी राज्य ओडिशा में स्थित है।

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Konark sun temple

भारत की विरासत का प्रतीक कोणार्क सूर्य मंदिर

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ट्रैवल: भारत की विरासत का प्रतीक कोणार्क सूर्य मंदिर:- पूर्वी भारत की वास्तुकला का एक चमत्कार और भारत की विरासत का प्रतीक, कोणार्क सूर्य मंदिर, जिसे आमतौर पर कोणार्क के नाम से जाना जाता है, भारत के पूर्वी राज्य ओडिशा (पहले उड़ीसा के नाम से जाना जाता था) में स्थित है और यह प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। कोणार्क में सूर्य देव को समर्पित एक विशाल मंदिर है। 'कोणार्क' शब्द दो शब्दों 'कोना' और 'अर्क' से मिलकर बना है। “कोना” का अर्थ है कोना” और “अर्क” का अर्थ है “सूर्य”, इसलिए जब इसे मिला दिया जाता है तो यह “सूर्य का कोना” बन जाता है। कोणार्क सूर्य मंदिर पुरी के उत्तर पूर्वी कोने पर स्थित है और यह सूर्य देव को समर्पित है। कोणार्क को अर्क क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। (Travel)

कोणार्क ओडिशा राज्य में 13ववीं शताब्दी में बने सूर्य मन्दिर के लिए विख्यात है। अनुमान है कि इस मन्दिर का निर्माण 1250 ई के आसपास राजा नरसिंह देव प्रथम ने कराया था। यह मन्दिर वास्तु शिल्प का एक अनोखा नमूना है।

Konark sun temple

इसे एक विशाल रथ के आकार में बनाया गया है। रथ के पत्थर के पहियों, खम्बों और दीवारों पर अत्यंत कलात्मक...

इसे एक विशाल रथ के आकार में बनाया गया है। रथ के पत्थर के पहियों, खम्बों और दीवारों पर अत्यंत कलात्मक मूर्तियां गढ़ी हुई हैं। रथ में 12 जोड़ी पहिये बनाये गये हैं। प्रत्येक पहिये का व्यास लगभग तीन मीटर है। रथ को खींचने के लिए सात घोड़े बनाये गए हैं। पहियों के सम्बंध में अत्यंत आवश्यक जानकारी यह है कि इनकी रचना सूर्य घड़ी के रूप में की गई है और इनकी सहायता से ठीक ठीक समय की गणना की जा सकती है। (Travel)

Konark sun temple

यह मन्दिर चन्द्रभागा नदी के तट पर बनाया गया था पर अब यह नदी इससे काफी दूर हो गई है। मन्दिर का मुख्य द्वार पूर्व की ओर है और सूर्य की पहली किरणें इसी पर पड़ती हैं।

मन्दिर के कुछ अंश टूट फूट गए हैं। लेकिन यूनेस्को ने इसे एक हैरिटेज साइट के रूप में स्वीकार किया हुआ है। कोणार्क, पुरी से 35 कि.मी की दूरी पर स्थित है, राजधानी भुवनेश्वर से इसकी दूरी लगभग 60 कि.मी है पुरी और भुवनेश्वर दोनों ही स्थानों से यहां तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। (Travel)

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